How To Push Yourself To Goal our Goal

आज कहीं भी उन लोगो की कमी नही जो कामयाबी के विभिन्न भाषणों के द्वारा लोगो को प्रेरित कर रहे हैं ।
लेकिन आज हर वह चीज़ जो सफलता दिलाती है उसे जानने के बाद भी उसे बहुत कम लोग छू पा रहे है ।

आप कोई भी लक्ष्य बनाते है ,लेकिन कुछ पल या समय के बाद आपमें वो ऊर्जा नही बचती जो शुरू में होती है ।

जिससे लक्ष्य को पाना और भी नामुमकिन से हो जाता है ।हमारी गलती ये है कि हम असल में कामयाबी चाहते या उसके लायक ही नही बन  पाते है जिस कामयाबी को हमने कई बार अपने सपनो में देखा होता है।

हमारे पास आज  ऐसे उदाहरण है जहाँ संसाधनों की कमी के बावजूद वे व्यक्ति असाधारण कर गए ।

उदाहरण के तौर पर -
विल्मा रुडोल्फ जिनके दोनो पैर बचपन में ही जल गए थे ।डॉ ने कह दिया था कि वे अब कभी दौड़ तो दूर की बात ,ठीक से चल तक नही पाएगी लेकिन अपनी इच्छाशक्ति की बदौलत उनकी मेहनत व कुछ कर गुजरने के जैज्बे के कारण उन्होंने किस्मत के लिखे को भी बदल डाला । आगे चलकर वह एक महिला धावक के रूप में कई ओलिंपिक स्वर्ण पदक प्राप्त करने में सफल रही थी ।

माइकल फेल्प्स(तैराक) - ठीक 2008 के ओलिंपिक के 2 वर्ष पहले उनकी बाँह में फ्रैक्चर आ गया था और डॉ ने उन्हें स्विमिंग में उस हाथ का प्रयोग न कर पाने की निराशा जताई ।लेकिन वे निराश नही हुए उन्होंने अपने पैरों पर ध्यान देना स्टार्ट कर दिया और पैरों से स्विमिंग करने में expert हो गए थे ।और 2008 के ओलिंपिक में 8 गोल्ड जीते।

अरुणिमा सिन्हा - एक वॉलीबॉल खिलाड़ी 12 अप्रैल 2011 एक रेल हादसे में कुछ बदमाशो से जद्दोजहद में अपने दोनों पैर गंवा बैठी । बिना अनेस्थेसिया के जिन्होंने असहनीय दर्द सहते हुए अपने पैरों को आपरेशन करवाया । दुनिया अरुणिमा पर दया दिखा रही थी ,अरुणिमा नही ।
दुनिया इन्हें विकलांग की नजर से देख रही थी ,लेकिन अरुणिमा नही। इन्होंने अस्पताल के बिस्तर पर फैसला ले लिया में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी फतह करूंगी ।
और अपने दिमाग से विकलांगता को निकाल दिया । माउंट
एवेरेस्ट की चोटी फतह करना एक सम्पूर्ण शरीरधारी असंभव प्रतीत होता है।
लेकिन इनके अंदर एक आग थी कुछ कर गुजरने की । वो आग ईंधन की तरह इनका साथ दे रही थी ।और असहनीय दर्द ,कई जानलेवा परिस्थितियों ,खतरीं को चीरती हुई उन्होंने 21 मई 2013 को माउंट एवेरेस्ट फतह कर लिया ।

दुनिया में ऐसे कई लोगो के उदाहरण हैं जिन्होने संसाधनों की कमी , शारीरिक रूप से असक्षम होने के बावजूद उन्होंने असंभव को संभव करके बताया ।

क्या कभी सोचा है ,कि उन लोगो में साधारण लोगों से क्या फर्क होता है क्या वो चीज़ होती है जो उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी प्रेरित रखती है उन्हें असंभव को संभव बनाने में मदद करती है ।

ये एक गुप्त रहस्य है इस गुप्ता रहस्य का नाम है - तीव्र इच्छा 


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